क्यों जरूरी है कन्यादान

स्त्री व पुरूष के एकमय होने का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना जाता है विवाह। यह लोकप्रिय कॉन्सेप्ट दुनिया को सनातन धर्म ने दिया है जिसे आज पूरा विश्व का सभ्य समाज ससम्मान अपनाये हुए है। दुनियाभर में फैले विभिन्न समाज के लोग अपनी धार्मिक व सामाजिक परंपराओं और रीति रिवाजों के अनुसार कार्य को संपन्न करते हैं। अकेले भारत देश में ही विवाह के अनगिनत तरीके अपनाये जाते हैं । विवाह करने का तरीका भले हो कोई सा भी क्यों न हो लेकिन इस आधुनिक युग में भी पति-पत्नी का रिश्ता ही सबसे पवित्र व सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है। विवाह की इन अलग-अलग परंपराओं ने कई अच्छे बुरे रीति रिवाजों को जन्म दिया उनमें से कुछ ऐसी परंपराओं का उद्भव हुआ जो आज जिससे अगर हम जल्द निजात नहीं पाते हैं तो यह हमारे सामाजिक तानेबाने को छिन्न भिन्न कर देंगी।… दहेज और विवाह में फिज़ूल ख़र्ची ऐसी ही समस्याएं हैं जो आज हर वर्ग के लिए भारी परेशानी का सबब बन चुकी है। ग़रीब और सीमित आय वाले मध्यम वर्ग के लिए तो ये अभिशाप हैं। आज इस वर्ग के अनेक लोगों के लिए कन्यादान करना उनके जीवन की एक बड़ी समस्या बन गई है। ऐसी स्थिति में कुछ व्यक्तियों या संस्थाओं का ऐसे जरूरतमंद लोगों की बेटी के कन्यादान के लिए आगे आना कितना महत्वपूर्ण है इसका आकलन आज हम करने की कोशिश कर रहे हैं… ।
देश की बड़ी आबादी के लिए अपना जीवन यापन करना ही बड़ी चुनौती... वह कन्यादान कहां से करेगा ?

भारत में अभी भी लगभग सत्तर प्रतिशत लोगों के लिए अपना ठीक से जीवन यापन कर पाना ही सबसे बड़े 1 चुनौती है? हमारा देश भले ही आनेवाले कुछ महिनों में | दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला हो, लेकिन देश के आम आदमी की आर्थिक हालत में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आने वाला। उसे यूं ही अपनी | प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए जूझते रहना पड़ेगा। यह बात कड़वी जरूर है लेकिन पूरी तरह सच है। हमारे आडम्बर भरे समाज ने विवाह जैसे जरूरी संस्कार को इतना ख़र्चीला बना दिया है जिससे रोजी रोटी को जूझती इस बड़ी आबादी के लिए बहुत बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। उस पर दहेज लालचियों की मांगों ने कई कन्याओं को अविवाहित रहने के लिए मजबूर कर दिया है.. अगर किसी तरह उनका विवाह हो भी जाता है तो कई लालची ससुराली जन उसका जीना ही मुश्किल कर देते हैं। ऐसी स्थिति में या तो पति- पत्नी के रिश्ते टूट जाते हैं या फिर वो जुल्म के साये में जीने पर मजबूर हो जाती हैं। कुछ ऐसे भी ससुराली जन हैं जो दहेज के लालच में अपने घर की बहू की जान भी ले लेते हैं या उसे आत्महत्या करने पर मजबूर कर देते हैं।
ख़राब आर्थिक परिस्थिति के कारण विवाह न होने पर कुछ युवा उठा लेते हैं ख़तरनाक कदमः
हमारे देश में जहां इतनी बड़ी तादाद में लोग बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं, वे चाहकर भी अपने युवा लड़के-लड़कियों का विवाह सही समय पर नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में कुछ युवा जब बेहद कुंठित हो जाते हैं तो वे नासमझी में कई ग़लत रिश्ते बना बैठते हैं जिनकी परिणिति लव मैरिज या लव जिहाद जैसी घटनाओं के रूप में सबके सामने आती है। ऐसे रिश्तों के परिणाम अक्सर बेहद दुखदायी और परेशानी पैदा करने वाले होते हैं। ऐसी स्थिति में हमारे समाज का वही सक्षम तबका उन्हें तरह-तरह के ताने देता है जो कि समय रहते उस परिवार की मदद ( आर्थिक या अन्य ) करता तो उस युवा को ये नासमझी वाला कदम न उठाना पड़ता। समाज के इन्हीं गैर जिम्मेदार लोगों की वजह से आज अनेक लोगों के लिए कन्यादान करना इतनी बड़ी समस्या हो गई है।
“विवाह करना है तो खुद का बेच कर करें या क़र्ज लेकर, करना तो पड़ेगा ही? ऐसी मुश्किल स्थिति में उन लोगों या संस्थाओं का क़िरदार बहुत अहम् हो जाता है”
ग़रीब वर्ग ही नहीं मध्यम और उच्च वर्ग भी शिकार है इन ग़लत रीति-रिवाजों काः
हमारा सामाजिक ताना बाना आज इतना विकृत हो गया है कि लड़की का कन्यादान करना कम आय वाले वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि मध्यम व उच्च वर्ग के लिए भी एक बड़ी समस्या का विषय बन चुका है। मनुष्य के पास जितना अधिक पैसा होता है वह इतना ही लालची हो जाता है और यह लालच उस वक्त खुलकर अपने सबसे घिनौने रूप में सामने आता है जब लड़के के वाले शादी के रिश्ते के लिए लड़की के घरवालों के सामने बैठते हैं। तब कई बार तो ऐसा लगता है जैसे कुछ देर के लिए उनके अंदर का इंसान मर गया हो? ऐसी विकट स्थिति में भला लड़की के घरवाले आखिर क्या करें? लड़की को जीवनभर घर पर तो बिठा नहीं सकते और विवाह करना है तो खुद का बेच कर करें या क़र्ज लेकर, करना तो पड़ेगा ही? ऐसी मुश्किल स्थिति में उन लोगों या संस्थाओं का क़िरदार बहुत अहम् हो जाता है जो जरूरतमंद लोगों की मदद के लि कन्यादान की ज़िम्मेदारी खुद निभाते हैं या निभाने में कुछ सहयोग देते हैं। घर “इस स्वार्थी, लालची और गैर इंसानी सोच को बदलने के लिए समाज के कुछ सुलझे हुए समझदार व्यक्तियों को आगे आकर लोगों के बीच व्यापक जागरूकता अभियान चलाना होगा ।”
हमें समाज को जागरूक करते हुए कन्यादान में सहयोग करना होगा ?

यह समस्या हमारे समाज के द्वार ही पैदा की गई है। ऐसे में इस समाज की ज़िम्मेदारी उसके निदान की भी बनती है। हम सब इस समस्या के बारे में जानते हैं और इसके समाधान की बड़ी-बड़ी बातें भी कर लेते हैं लेकिन जब लड़के वाले बनकर शादी का रिश्ता तय करने के लिए लड़की वालों से बात करते हैं तो भिखारी से भी गए बीते बन जाते हैं? बस यही सोच इस समस्या की जड़ है। इस स्वार्थी, लालची और गैर इंसानी सोच को बदलने के लिए समाज के कुछ सुलझे हुए समझदार व्यक्तियों को आगे आकर लोगों के बीच व्यापक जागरुकता अभियान चलाना होगा। लोगों को इस बात का अहसास दिलाना होगा कि जब भी वे लड़के वाले बनकर शादी के रिश्ते के लिए लड़की के घरवालों से बात करें तो एक बार खुद को उनकी जगह रखकर देखें और सोचें कि कोई उनसे बेवजह दहेज या खर्चीली शादी की मांग करे और वे उसे पूरा करने की स्थिति में नहीं तो वे कैसा महसूस करेंगे? और भी ऐसे कई तरीके हैं जिन्हें बताकर लोगों को जागरूक किया जा सकता है। इसके साथ ही हमारे बुद्धीजीवी वर्ग को एक सतत् अभियान के तहत जरूरतमंद लोगों की कन्याओं के विवाह में हर संभव मदद करना भी जारी रखना होगा। जब इन दोनों मोर्चों पर व्यापक अभियान चलाये | हमें सामूहिक विवाह समारोह में शादी करने वाले परिवारों को देना होगा
उचित सम्मानः
हमारे समाज में यह गलत धारणा बन गई है कि बेटी के कन्यादान की ज़िम्मेदारी सिर्फ उसके परिवार की ही है।… अगर हमारे समाज की किसी बेटी का उसके अविभावकों की आर्थिक कमजोरी के कारण कन्यादान नहीं हो पाता है तो इसकी कुछ ज़िम्मेदारी हमारे समाज की भी बनती है और उसे अपना सामाजिक कर्तव्य समझकर अच्छी तरह से निभाना चाहिए। समाज के इन सक्षम लोगों को ऐसा वातावरण भी निर्मित करना चाहिए कि सामूहिक विवाह समारोह में भाग लेने वाला परिवार भी अपने इस कृत्य से स्वयं को अन्य आम लोगों से किसी तरह कमतर न समझे, बल्कि स्वयं को सम्मानित व गौरवन्वित महसूस करें कि उसने समाज सुधार में अपना एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ऐसा वातावरण तभी निर्मित हो सकेगा जब समाज के कुछ सक्षम लोग भी अपने पुत्र-पुत्रियों का विवाह ऐसे सार्वजनिक विवाह स्थलों पर करें और अपने धन से अपने बाकी सहभागियों की आर्थिक मदद भी करें।

सरकार को भी ऐसे अभियानों को देना होगा अधिक प्रोत्साहनः
वर्तमान समय में हमारे देश व राज्य की सरकारें कई स्तरों पर कन्यादान के कार्यक्रम चल रही हैं या ऐसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन समस्या जितनी विकराल है ‘उसके मुताबिक सरकार मदद करने में अभी भी बहुत पीछे है। सरकार को सार्वजनिक सामूहिक विवाह अभियानों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन व हर तरह की सहायता और सुविधाएं देने की जरूरत है। सरकार में बैठे हुए लोगों को देश के अंदर ऐसा वातावरण बनाने में भी मदद करनी होगी जिससे सार्वजनिक सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले लोग खुद को अलग-थलग महसूस न करें। सरकार के ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को अपने बच्चों की शाही शादी के आयोजनों से बचना चाहिए और ऐसे अभियानों का स्वयं हिस्सा बनकर आदर्श की कई मिसालें पेश करनी चाहिए। सरकार, समाज और निजी संस्थाओं के बीच एक बेहतर समन्वय स्थापित करने की जरूरत है, तभी अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचेगी। जब हम ऐसा कर पाने में सफल होंगे तभी हो पायेगा इस देश की हर कन्या का सम्मान कन्यादान.. । इसकी पहल हम आप में से ही किसी न किसी को करनी होगी।