कन्यादान परिवार में लोग निःस्वार्थ भाव से जुड़े हैं
“कन्यादान” परिवार में लोग निःस्वार्थ भाव से जुड़े है | ‘कन्यादान’ पत्रिका इस अभियान को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है |
“कन्यादान” परिवार में लोग निःस्वार्थ भाव से जुड़े है | ‘कन्यादान’ पत्रिका इस अभियान को आगे बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है |
आज देश मै अलग-अलग सामाजिक संस्थाएं (social institution) हैं | सामाजिक संस्थाओं का रोल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है |
बेसहारा लड़कियों का आसरा कन्यादान आश्रालय जहां रहने वाली बच्चियां स्वयं को अपने घर जैसा महसूस कर सकें और एक सुखी भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें।
जब किसी परिवार में मुसीबतें बढ़ती हैं तो घर के किसी सदस्य को चाहे अनचाहे रोजी-रोटी के जुगाड़ में village गांव छोड़कर शहर city जाना पड़ता है।
समाज की किसी बेटी की उसके अविभावकों की आर्थिक कमजोरी के कारण Kanyadaan कन्यादान नहीं हो पाता तो इसकी कुछ ज़िम्मेदारी हमारे समाज की भी बनती है|
आज अधिकांश लोग यह जान चुके हैं कि एक इंसान होने के नाते अपने धन या साधनों से दूसरों की मदद करने से अच्छा कोई काम नहीं और यही हमें परमात्मा की राह पर आगे बढ़ाता है।
सार्वजनिक विवाह कार्यक्रमों हमारे समाज के कई जरूरतमंद लोग इसमें खुले दिल से शामिल होने से सिर्फ़ इसलिए हिचक रहे हैं कि… लोग क्या कहेंगे…?
दहेज, शिक्षा, स्वास्थ्य, भ्रूण हत्या और विवाह में फिज़ूल खर्ची जैसी समस्याओं से है निपटना इन गंभीर समस्याओं से लड़ना है संस्था का उद्देश्य
कन्यादान ट्रस्ट को हर व्यक्ति द्वारा तन, मन व धन से दिल खोलकर मदद देनी चाहिए, क्योंकि आपकी एक छोटी सी मदद भी कई घरों को बसा सकती है।
‘विवाह’ स्त्री-पुरुष की एक नई जिंदगी की प्यारभरी शुरूआत है, जिसे सिर्फ धन-दौलत की चकाचौंध से सुखमय व आनंददायी नहीं बनाया जा सकता।